महाराज जी को सन 1727 में फाल्गुन मास शुद्धि द्वादशी को दिन के लगभग 10 बजे ज़िन्दा महात्मा के रूप में परमेश्वर कबीर जी आकर मिले थे। उन को न...
महाराज जी को सन 1727 में फाल्गुन मास शुद्धि द्वादशी को दिन के लगभग 10 बजे ज़िन्दा महात्मा के रूप में परमेश्वर कबीर जी आकर मिले थे। उन को नाम उपदेश दिया था। इसी उपलक्ष्य में 23 मार्च से 25 मार्च तक संत गरीब दास जी महाराज जी का बोध दिवस मनाया जा रहा है। इसी को लेकर मालिक की दया से उसे हम ने याद करना है ।सभी आत्माओं को जानकारी हो ,उन आत्मा यो को ज्ञान का ख़ज़ाना मिल सके ।गरीब दास जी पंथ से है सद्गुरू जी महाराज को पूर्ण मोक्ष देने का अधिकार प्राप्त हैं । कल 24 मार्च को सुबह 7 बजे से संत गरीब दास जी महाराज के बोध दिवस के उपलक्ष्य में सेवा होगी ।
संत गरीब दास जी महाराज का आविर्भाव सन 1717 में हुआ तथा उन को परमेश्वर कबीर जी के दर्शन 10 वर्ष की आयु में तब गायों को चराने के लिये के लिए अन्य ग्वालों के साथ नला नामक खेत में गए हुये थे ।तब उन को फाल्गुन मास शुद्धि द्वादशी को दिन केलगभग 10 बजे जिंदा महात्मा के रूप में परमेश्वर कबीर जी महाराज आ कर मिले थे परमात्मा ने गरीब दास जी को कुँवारी गाय का दूध पिलाया था और संत लोक ले कर गये थे बहाँ पर सब सुख है। तब गरीब दास जी ने बताया कि सृष्टि का रचनाकार परमेश्वर है ।
अनन्त कोटि बाहणड का एक रती नहीं भार ।
सतगुरु पुरूष कबीर है , कुल के सिरजन हार ।
संत गरीब दास जी को उपदेश प्राप्त हुआ जिस का प्रणाम कबीर सागर में मिलता है बारहवाँ पंथ गरीब दास पंथ है गरीब दास जी महाराज का फाल्गुन शुद्धि द्वादशी सन 2021 को बोध दिवस है। गरीब दास जी महाराज जी ने बताया कि काशी में जो 120 वर्ष कबीर जुलाहा की भूमिका करके गये ,जिस कूं कहते कबीर जुलाहा। सब गति पूर्ण अगम अगाहा गरीब ,जिस मंडल साधु नहीं, नदी नहीं गुज़ार ।
तज हंसा वह देवड़ा ,जम की मोटी मार ।
जिस क्षेत्र में सच्चा महात्मा, गुरूजन नहीं होते और नदी आस पास न बह रही हो ,उस देश को तुरंत त्याग दें । क्योंकि वहाँ काल की भयंकर पर ताडना है इस लिये जब भी जिस आयु में सतगुरु मिल जाये , दीक्षा लेकर सत भक्ति शुरू कर देनी चाहिए।अपने यथार्थ ज्ञान से व यथार्थ स्थान से परिचित करवाया । जिसे आज सद्गगंथ साहिब के नाम से जाना जाता है ।
आज से लगभग 600 पहले जो कबीर परमात्मा गुरू नानक देव जी को मिले ,ब्लश बुख़ारे के बादशाह इब्राहीम सुल्तान अधम व दादू जी को मिले ,वही परमात्मा सन 1727 में गरीब जी को उन के खेतों में मिले व उन का उद्धरणकिया गरीब दास जी अपनी वाणी में प्रणाण देते हैं । हम सुल्तानी नानक तारे ,दादू कूं उपदेश दिया ।
जात जुलाना भेद नहीं पाया , काशी माहे कबीर हुआ ।
संत गरीब दास जी का गाँव छुड़ानी ज़िला झज्झर, हरियाणा में हुआ, गाँव छुड़ानी में गरीबदास जी का नानका है । ये गाँव करौंथा के रहने वाले धन खंड गोत्र से थे । इन के पिता बलराम जी का विवाह गाँव छुड़ानी में शिव लाल जी का कोई पुत्र नहीं था । इस लिये बलराम जी को घर -जमाई रख लिया था । गाँव छुड़ानी में रहते 12 वर्ष हो गये थे गरीब दास महाराज जन्म छुड़ानी में हुआ था।वह धरती धन्य हैं , यहाँ पर बड़े महान ऋषि मुनियो की पवित्र भूमि मानी गई हैं दूर दूर से लोग पवित्र स्थान
देखने आते हैं ।
गरीब,प्रपटन वह प्रलोक है,जहाँ अदली सतगुरु सार ।
भक्ति हेतु सैं उतरे, पाया हम दीदार ।
गरीब ऐसा सतगुरु हम मिलया, सुन्न विदेशी आप ।
रोम —-रोम प्रकाश हैं दीनहा अजपा जाप ।
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