ख़ुशी अगर बाँटना चाहो - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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ख़ुशी अगर बाँटना चाहो

एक आदमी ने दुकानदार से पूछा —केले और सेब क्या भाव लगाऐ हैं ? केले 20 रु.दर्जन और सेब 100 रु. किलो । उसी समय एक गरीब सी औरत दुकान में आयी ,और...




एक आदमी ने दुकानदार से पूछा —केले और सेब क्या भाव लगाऐ हैं ? केले 20 रु.दर्जन और सेब 100 रु. किलो । उसी समय एक गरीब सी औरत दुकान में आयी ,और बोली मुझे एक किलो सेब ,और एक दर्जन केले चाहिये - क्या भाव है भैया ? दुकानदार—केले 5 रु दर्जन और सेब 25 रु किलो। औरत ने कहा जल्दी से दे दीजिये । दुकान में पहले से मौजूद ग्राहक ने खा जाने वाली निगाहों से ( घूरकर )दुकानदार को देखा । इससे पहले कि वो कुछ कहता - दुकानदार ने ग्राहक को इशारा करते हुये ,थोड़ा सा इंतजार करने को कहा।

औरत खुशी खुशी खरीदारी करके दुकान से निकलते हुये बड़बड़ाई - हे भगवान तेरा लाख- लाख शुक्र है , ।मेरे बच्चे फलों को खाकर बहुत खुश होंगे । औरत के जाने के बाद दुकानदार ने पहले से मौजूद ग्राहक की तरफ देखते हुये कहा : ईश्वर गवाह है । भाई साहब , मैंने आपको कोई धोखा देने की कोशिश नहीं की ,यह विधवा महिला है ।जो चार अनाथ बच्चों की मां है । किसी से भी किसी तरह की मदद लेने को तैयार नहीं है। मैंने कई बार कोशिश की है ।और हर बार नाकामी मिली है। तब मुझे यही तरकीब सूझी है ।कि जब कभी ये आए तो मै उसे कम से कम दाम लगाकर चीज़े दे दूँ। मैं यह चाहता हूँ ।कि उसका भरम बना रहे ।और उसे लगे कि वह किसी की मोहताज नहीं  है। मैं इस तरह भगवान के बन्दों की पूजा कर लेता हूँ। मेरे मन कों बहुत सकून  मिल जाता है। यही तो मालिक ने बताया हैं, कि यह  जो संसार चल फिर रहा है। वह उसी परम  पिता की शक्ति है। इसी को जानना समझना  बहुत ज़रूरी  है। दया ,परो प्रकार,सहानुभूति किसी का भला , मद्दत  करना ही भलाई का काम है ।यह सब कर के ,मै  समझता हुँ  ,मैंने  किसी की आत्मा को  ख़ुश किया है। ज़रूरत  मद का भला किया  है। जिस परमात्मा ने यह जीवन दिया है। वह बहुत ही मूल्यबान  है, इस की क़ीमत बनाने वाला ही जानता है।

थोड़ा रूक कर दुकानदार बोला , यह औरत हफ्ते में एक बार आती है। भगवान गवाह है ।जिस दिन यह आ जाती है ,उस दिन मेरी बिक्री बढ़ जाती है। और उस दिन परमात्मा मुझ पर मेहरबान हो जाता है । ग्राहक की आंखों में आंसू आ गए, उसने आगे बढकर दुकानदार को गले लगा लिया । और बिना किसी शिकायत के अपना सौदा खरीद कर खुशी खुशी चला गया ।

       ( कहानी का मर्म ) == यानि भावार्थ 
 -खुशी अगर बांटना चाहो तो तरीक़े  भी मिल जाते हैं। ज़िंदगी बहुत छोटी है। प्रेम ,दया ,भाव ही इन्सान को बुलन्दियाँ  तक ले जाता  है। यह सब सोच पर ही निर्भर करता है। हमारी समझ कहाँ तक हैं। कभी कबार  अपने आप को चैक करते रहना चाहिए ।,संतोष,करुणा , सद्गुरू जी के मार्गदर्शन से खुद वाँ खुद अच्छे विचार  आने शुरू हो जाते  है। तह दिल से मालिक की शुक्रगुज़ार  हूँ। मुझे सद बुद्धि बकशे ।

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