तत्व ज्ञान के बिना जीवन में अंधियारा —: ( कबीर वाणी ) कबीर गुरू की भक्ति बिन,राज ससभ होये । माटी लदै कुम्हार की घास ना डारै कोये । भावार्थ—:...
तत्व ज्ञान के बिना जीवन में अंधियारा —: ( कबीर वाणी )
कबीर गुरू की भक्ति बिन,राज ससभ होये ।
माटी लदै कुम्हार की घास ना डारै कोये ।
भावार्थ—:
परमात्मा कबीर साहेब कहते हैं ,की गुरू की भक्ति के बिना राजा भी अगले जन्म में गधा होता हैं ।जिस पर कुम्हार दिन भर मिट्टी लादेगा और कोई घास भी नहीं डालेगा ।
परमात्मा कबीर साहेब कहते हैं ,की गुरू की भक्ति के बिना राजा भी अगले जन्म में गधा होता हैं ।जिस पर कुम्हार दिन भर मिट्टी लादेगा और कोई घास भी नहीं डालेगा ।
कबीर चौसठ दीवा जागाये के ,चौदह चन्दा माहि।
तेहिघर किसका चांदना,जिति घर सतगुरु नाहि ।
भावार्थ—:परमात्मा कबीर साहेब कहते हैं कि चौंसठ कलाओं और चौदह विधाऔ की जान कारी होने पर अगर सतगुरू का
ज्ञान नहीं है तो समझ लीजिए अंधियारे में ही रह रहे हैं ।भगवान गणेश और भगवान श्री कृष्ण को चौदह विद्या और चौंसठ कलाओं प्राप्त थी लेकिन उन्हें पूर्ण सतगुरु नहीं मिलें।अतः ओ आवागमन की चक्कर में ही है ।
गरीब चातुर प्राणी चोर है ,मूँड मुक्त है ठेठ। सन्तों के नहीं काम के ,इन को दे गल ज़ोर।
भावार्थ—: जो व्यक्ति तत्व ज्ञान को सुन कर सिद्धांतों में आँखों देखकर भी अभिमान वंश यथार्थ भक्ति मार्ग स्वीकार नहीं करते
वह चालाक प्राणी परमात्मा के चोर है ।जो उन के अनुयाई ,हैं वह भी सत्य को आँखों देखकर भी उन चालाक गुरूयो को
नहीं त्यागते ।वह मुड़ ऐसे व्यक्ति सन्तों के काम के नहीं होते परमात्मा उन को एक दूसरे से बांधे रखे अर्थात् वे शुभ कर्म हीन
हैं । उन के भाग्य में सत्य साधना नहीं है ,कबीर,मूर्ख को समझावते ।
ज्ञान गाँठी की जाये कोयला ना उजला ,चाहें सौ मन साबुन लाये ।
भावार्थ—: भगवान जी ने कहा है कि मूर्ख को समझाने से अपने तत्व ज्ञान को न गवाये यानि चतुर लोग आप के तत्व ज्ञान
को सुन कर स्वयं वक्ता वन कर जनता को ठगेंगे ।मूर्ख मानेगा नही ।जैसे कोयला अंदर तक काला होता हैं कोयले को
चाहे सौ मन यानि (400 कि:ग्राम) साबुन लगाकर साफ़ करना चाहे तो भी सफ़ेद नहीं होगा ।इसी प्रकार मूर्ख व्यक्ति
तत्व ज्ञान नहीं समझेगा ।
भावार्थ:-
यानी, सुख की माया में खोए मन को भगवान भी नहीं बचा सकते. सांसारिक सुखों का आन्नद लेते लेते इंसान , परमात्मा को भी भूल गया। और ख़तरे और नादानियों की और बढ़ता गया. ऐसी ही नदानियाँ करते हुए इंसान अपने मार्ग से भटक जाते हैं ।
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