सत्य पर विश्वास - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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सत्य पर विश्वास

ये कैसी विडम्बना है ,मेरे मालिक, आपके बच्चे इस काल़ लोक के झूठे सुखों मे डूब कर,अपने समर्थ पिता को नहीं पहचान रहे हैं। पिता परमेश्वर आप जी ह...




ये कैसी विडम्बना है ,मेरे मालिक, आपके बच्चे इस काल़ लोक के झूठे सुखों मे डूब कर,अपने समर्थ पिता को नहीं पहचान रहे हैं। पिता परमेश्वर आप जी हर युग में संत रूप मे प्रकट होकर लीला करते हैं। कलयुग की धरती पर भी आप महाराज जी के अवतार मे अवतरित हुए हैं ,सतसंग द्वारा सचेत कर रहे हैं कि सत् भगवान को, समर्थ पिता को पहचान लो, यहां सुख शाँति नहीं है।
झूठे सुख को सुख कहे, कयों मान रहा मनमोद।
सकल चबीना काल का,कुछ मुख मे कुछ गोद।
 
भावार्थ—:सतगुरू महाराज जी की जय। यानि इस का मतलब है , परमात्मा की कृपा से सब बिगड़े कार्य पूर्ण हो जाते है। बन्धनों ,कष्टों ,दुखो को दूर करते हैं। सम्पूर्ण शक्ति मान भगवान जी है। मंत्र जाप कर के अपने भाग्य  को ऊँचाइयों पर ले जाता है। यह सब परम सन्त तारण हार जो परमेश्वर जी का कृपा पात्र होता है। उसकी पहचान बताते हुए कहा है।

जो मम सन्त सत शब्द दृढ़ावै, वाकै संग सब राड़ बढावै।
ऐसे सन्त महन्तन की करणी, धर्मदास मैं तोसे वरणी।।"

इस अमर वाणी का भावार्थ है कि : - कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि जो मेरा सन्त , सच्चे ज्ञान व सच्चे नाम ( सतनाम ) के विषय में दृढ़ता से बताएगा। उस के साथ उस समय के सन्त तथा महन्त झगड़ा करेगें। क्योंकि वह सच्चा ज्ञान उन नकलियों के नकली ज्ञान का पर्दा फाश करेगा। यह पहचान भी उस सन्त की होगी। वर्तमान में सन्त जी, के रूप में अवतार बन कर आये हुये है। हम कितने भाग्यशाली हैं। अज्ञानियों के कारण ऐसे हालात पैदा हुये ।

 जो तोकूं काँटा बोबे ,ताको बो तू फूल ।
  तोहे फूल के फूल  हैं,वारों हैं त्रिशूल ।

भावार्थ—:यदि कोई आपको कष्ट देता है तो  आप उस का उपकार करने की  धारणा बनाये ,आप को तो  सुख रूपी फूल प्राप्त होंगे 
और जो आप को कष्ट रूपी काँटे दे रहा  था उसको तीन गुना कष्ट रूपी काँटे प्राप्त होंगे ।
ओम ,तत ,संत यह तीन प्रकार के नाम जो सांकेतिक हैं वर्तमान में वह तत्वदरशी संत से नाम दीक्षिा ले कर अपने जीवन यात्रा को सफल बनाये अब हमारे साथ हैं ।

ज्ञान से बौखला कर करौंथा काण्ड करा दिया। परन्तु परमेश्वर जी का पंजा सिर पर बाराबर बना रहा ,जिस कारण संत कबीर जी महाराज तथा अनुयाई सुरक्षित रहे। परमेश्वर का प्रचार ,पहले से कई  गुना ओर बढ़ गया। परमेश्वर सत्य का साथ देते हैं। उन का साथ अपने भक्त को कभी निराशा नहीं करता । 
हम अज्ञानीयो की ख़ातिर दिन रात एक कर दिया हमारा फ़र्ज़ बनता है। गुरू जी की आज्ञा का पालन करते हुए। उन को प्रसन्नता पूर्वक ख़ुशहाल देखे। हम उन के राम राज्याभिषेक के साक्षी कहलायेंगे। निर्मल ज्ञान ओर बुद्धि मान बना दिया है ।

कबीर के पद चिन्हों पर पूर्ण विश्वास के साथ चले ,हमारा स्वाँस स्वाँस उन्हीं का है ।मन की गहराइयों से धन्यवाद करती हूँ। सदा उन की ऋणी हूँ ,मेरे आराध्य, मेरे पूजनीय ,स्मरणीय ,मेरे बंदनीये मेरे स्वाँस मेरी आत्मा आप ही हो। निदान हूँ, अज्ञानी हूँ, अपनी नज़रें कर्म बनाये रखना ,मेरी ग़लतियों को क्षमा करना। 

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