जैसे सूरज के आगे बदरा ,ऐसे कर्म छया रे ,प्रेम की पवन करे चित मंजन ,झलकें तेज़ न्यारे रे। भावार्थ- जैसे सूर्य के सामने बादल होते है। ऐसे पाप...
जैसे सूरज के आगे बदरा ,ऐसे कर्म छया रे ,प्रेम की पवन करे चित मंजन ,झलकें तेज़ न्यारे रे।
भावार्थ- जैसे सूर्य के सामने बादल होते है। ऐसे पाप क्रमों की छाया जीव व परमात्मा के मध्य हो जाती है। पूर्ण सन्त की शरण में शास्त्र विधि अनुसार साधना करने से प्रभु की भक्ति रूपी मंजन से प्रभु प्रेम रूपी हवा चलने से पाप कर्म रूपी बादल हट कर भक्त के चेहरे पर नई चमक दिखाई देती हैं। अर्थात् परमात्मा से मिलने वाला लाभ प्रारम्भ हो जाता है। परमात्मा प्रत्येक प्राणी को उस के क्रमों के अनुसार यन्त्री ( मशीन ) की तरह भ्रमण करवाता है। तथा जैसे के पानी भरे मटको में सूर्य प्रत्येक में दिखाई देता है। ऐसे परमात्मा जीव के ह्रदय में दिखाई देता है ,गीता में भी यही परिणाम है। लिखा है कि जिस परमेश्वर से सम्पूर्ण प्राणियों की उत्पत्ति हुई हैं। और जिस से यह समस्त जगत् व्याप्त है। उस परमेश्वर की अपने वास्तविक क्रमों द्वारा पूजा कर के मानव परम सिद्धी को प्राप्त हो जाता है
जंगल ढेरी राख की ,उपिर उपरि हरी आये के भी होते मान ली ,करते रगं रसिया।
अर्थ संसार रूपी जंगल चीता के राख के ढेर समान है। उस के ऊपर हरियाली उग गयी है। वह सभी राख मनुष्यों के चितायें के है जो संसार में आनन्द और मौज लूट कर चले गये।
झूठा सब संसार है , कोउ ना अपना मीत । राम नाम को जान ले,चले जो भौजाई जीत ।
अर्थ यह संसार असत्य है। इस में अपना कोई मित्र नहीं है। केवल राम नाम का ज्ञानकर लो तो तुम इस सांसारिक जाल में उलझने से बच जाओगे और माया जाल पार पा लोगे। इस प्रकार काल ने परमेश्वर को बचन बध करके अपनी इच्छाओं की माँग करी।
गरीब, नींज नाम विना नी पजै नहीं जप तप करी है कोटी । लाख चौरासी तैयार है मूँड़ मुंडायां घोरी।
अर्थ परमात्मा की भक्ति के नीज ( नाम वास्तविक नाम ) बिना साधना ( भक्ति रूपी फल की उपज नहीं होती ) नहीं उपजेंगी यानि भक्ति का कोई फल नहीं मिलेगा। चाहे करोड़ों ग़लत नामों का जाप करो , चाहे उस ग़लत धर्म ,कर्म के पालन में करोड़ों कष्ट सहन ( तप ) करो। भगवान के बनाये हुये बिधान को छोड़ कर मन माना आचरण करने से कोई फल नहीं मिलता । अब समय का बदलना तह है। बकत आ गया है ,पूरे विश्व में कितना महौल ख़राब है ।अपने अच्छे कर्म बनाये ,दान पुण्य करे समय बड़ा बलवान है किसी का जीवन बदलेगा, किसी का दिल बदलेगा ,तो किसी के दिन बदलेंगे। धर्म दास जी को परमात्मा सत लोक से आकर मथुरा में ज़िन्दा महात्मा के रूप में मिले जिन का प्रमाण उन की ये वाणी देती हैं ।
अर्थ यह संसार असत्य है। इस में अपना कोई मित्र नहीं है। केवल राम नाम का ज्ञानकर लो तो तुम इस सांसारिक जाल में उलझने से बच जाओगे और माया जाल पार पा लोगे। इस प्रकार काल ने परमेश्वर को बचन बध करके अपनी इच्छाओं की माँग करी।
गरीब, नींज नाम विना नी पजै नहीं जप तप करी है कोटी । लाख चौरासी तैयार है मूँड़ मुंडायां घोरी।
अर्थ परमात्मा की भक्ति के नीज ( नाम वास्तविक नाम ) बिना साधना ( भक्ति रूपी फल की उपज नहीं होती ) नहीं उपजेंगी यानि भक्ति का कोई फल नहीं मिलेगा। चाहे करोड़ों ग़लत नामों का जाप करो , चाहे उस ग़लत धर्म ,कर्म के पालन में करोड़ों कष्ट सहन ( तप ) करो। भगवान के बनाये हुये बिधान को छोड़ कर मन माना आचरण करने से कोई फल नहीं मिलता । अब समय का बदलना तह है। बकत आ गया है ,पूरे विश्व में कितना महौल ख़राब है ।अपने अच्छे कर्म बनाये ,दान पुण्य करे समय बड़ा बलवान है किसी का जीवन बदलेगा, किसी का दिल बदलेगा ,तो किसी के दिन बदलेंगे। धर्म दास जी को परमात्मा सत लोक से आकर मथुरा में ज़िन्दा महात्मा के रूप में मिले जिन का प्रमाण उन की ये वाणी देती हैं ।
आज मोहे दर्शन दिये जी कबीर , सत्य लोक से चल कर आये,काटन जम की ज़ंजीर।
भजन कर राम दुहाई रे,भजन कर राम दुहाई रे ,जन्म अनमोला तुझे मिला नर देही पाई रे ।
यह मनुष्य जीवन बहुत अनमोल है। यह हमें सिर्फ़ सत भक्ति के लिए लिए ही मिला है। और इस मनुष्य जीवन में ही हम पूर्ण परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं।नल को देखकर कीचड़ में नहीं जाना चाहिए, हा यदि कीचड़ में पैर फँस जाये तो नल के पास जाना चाहिए, ( नल ही गुरू हैं ) इसी प्रकार पैसे को देखकर बुरे रास्ते पर नही जाना चाहिए ,ज़िन्दगी में बुरा समय आ जाये तो पैसों का सही उपयोग करना चाहिए। जिस तरह थोड़ी सी औषधि भयंकर रोगों को शांत कर देती हैं। उसी तरह ईश्वर की थोड़ी सी स्तुति बहुत से कष्ट और दुखों का नाश कर देती हैं ।
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