धरती पर कबीर जी आये हैं - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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धरती पर कबीर जी आये हैं

धरती पर पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कबीर नाम से विद्यमान थे। ...



धरती पर पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कबीर नाम से विद्यमान थे। परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण मिलता है। मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में रहता है। परमात्मा साकार है, सशरीर है ,और राजा के समान दर्शनीय है। जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्गदर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं प्रभु ही आते हैं। परमात्मा सम्पूर्ण शांति दायक हैं ।सर्व शक्तिमान परमेश्वर  परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्टकर सकता है।

परमात्मा मोक्षदायक हैं  परमात्मा पाप का शत्रु है, पाप विनाशक है। परमेश्वर सर्व ब्रह्मण्डों व प्राणियों को अपनी शब्द शक्ति से उत्पन्न करने के कारण (जनता) का माता भी कहलाता है ,तथा (पित्तरम्) पिता तथा (बन्धु) भाई भी वास्तव में यही है ,तथा (देव) परमेश्वर भी यही है। चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा  ,जो वेदों के सांकेतिक शब्दों को पूर्ण विस्तार से वर्णन करता है। जिससे पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति होती है वह वेद के जानने वाला कहा जाता है।

पवित्र अथर्ववेद में सृष्टी रचना का प्रमाण,
पवित्र वेदों को बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि सनातन परमेश्वर ने स्वयं अनामय (अनामी) लोक से सत्यलोक में प्रकट होकर अपनी सूझ-बूझ से कपड़े की तरह रचना करके ऊपर के सतलोक आदि तथा नीचे के परब्रह्म के सात संख ब्रह्मण्ड तथा ब्रह्म के 21 ब्रह्मण्ड व इनमें छोटी-से छोटी रचना भी उसी परमात्मा ने अस्थाई की है।पूर्ण परमेश्वर सत्य साधना करने वाले साधक को उसी पहले वाले स्थान (सत्यलोक) में ले जाता है। 
पवित्र अथर्ववेद। पूर्ण परमात्मा अपने द्वारा रची सृष्टी का ज्ञान तथा सर्व आत्माओं की उत्पत्ति का ज्ञान अपने निजी दास को स्वयं ही सही बताता है। 
पवित्र अथर्ववेद कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है। गौर कीजिए, असली भगवान को पहचानो। अनंत कोटी ब्राह्मड का ,एक रति नहीं भार। सद्गुरू पुरूष कबीरदास ,ये कुल के सृजन हार।अब हमारे साथ हैं शब्द रूपी नाम की कमाई कर के अपनीं जीवन यात्रा को सफल बनाएँ मालिक जी की कृपा बग़ैर पता भी नहीं हिल सकता ,अपनी अन्तर आत्मा को जगाये।अब यह समय युग परिवर्तन का चल रहा हैं ,हमारे लिए बहुत अच्छा गोल्डन चाँस हैं प्रभु कृपा से ।

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