यह कैसी बिडमना हैं . मैंने ठान रखा था। कि अब मैं इंडिया कभी नहीं जाऊँगी . विधि का विधान ऐसा बना कि मुझे इंडिया जाना ही पड़ा . मैं बहन के बच...
यह कैसी बिडमना हैं . मैंने ठान रखा था। कि अब मैं इंडिया कभी नहीं जाऊँगी . विधि का विधान ऐसा बना कि मुझे इंडिया जाना ही पड़ा . मैं बहन के बच्चों के साथ इंडिया शान्ति कुंज गई . वहाँ जा कर उसकी आत्मा की शान्ति के लिए जो भी किरया कर्म था ,वो सब उनके बेटों ने किया। इंसान कभी सोच भी नहीं सकता कल क्या होने वाला। मुझ से 10 साल छोटी थी लेकिन सर्वकला संपन्न थी ,सोशल नेटवर्किंग ,उस का बहुत था। समझ दार और मिलन सार बहुत,हर तरह अपने आप को ढाल लेती ,बहुत हँसी मज़ाक़ ,बच्चों ,से बडों में ,ख़ास कर बजुरगो की बहुत सहायता करती थी। उस के बाद तो मेरी पुरी लाइफ़ बदल गई। यह सब ऊपर वाले ने सब का समय तह किया होता है ।
इंडिया से मैंने कुछ किताबें लेनी थी। हम वहाँ से जालंधर चले गये. वहाँ जा कर मैने ( जीने की राह ) और (ज्ञान गंगा) यह दो किताबें लेनी थी। उन्होंने मुझ से कहाँ क्या आपने नाम दान लिया हैं ,तो मैंने कहाँ नहीं ,तों क्या आप लेना चाहते हैं, फिर मैंने कहा हाँ, क्यूँ नहीं .इतना सुनहरी मौका मुझे मिला हैं ।इसे यूँ ही हाथ से नहीं जाने दूँगी और मैंने नाम दान ले लिया . वो पल मेरे लिए सुनहरी पल थे. 84 लाख योनियो के बाद मुझे यह मनुष्य चोला मिला .मैं इसे व्यर्थ नहीं गँवाना चाहतीं .गुरू जी का प्रोग्राम मैं काफ़ी देर से फ़ॉलो कर रही थी .मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि एक दिन मुझे इनसे नाम दान भी मिलेग़ा.
जो कि पूर्ण परमात्मा हैं. पुरी यूनिवर्सल में ऐसा गुरु कोई नहीं हैं. इंडिया से किताबों का पूर्ण कोर्स मैं लेकर आई हूँ. तीन वार मंत्र लेना होता हैं. दो वार मैंने ले लिया 6 महीनो के बाद मेरा एग्ज़ाम था ,मैंने ऑनलाइन इग्ज़ाम दिया और मैं पास हुईं . कुछ महीनो बाद मेरा फ़ाइनल एग्ज़ाम हैं. यह एक PHD का ही कोर्स हैं.
फिर मुझे तीसरा मंत्र मिलेग़ा. आज तक मैंने ऐसा ज्ञान ना सुना ,ना पड़ा ,ना देखा, स्टूडेंट को उनकी मर्यादा के अनुसार चलना पड़ता हैं. अगर आप उनकी मर्यादा का उलंघन करोगे तो आपको दुबारा नाम दान नहीं मिलेग़ा. मेरे लिए तो यह बहुत ख़ुशी की बात हैं. ये ज्ञान मेरी आत्मा की ख़ुराक हैं। इसकी मुझे बहुत ज़रूरत हैं. ये पूरा यूनिवर्सल एक सत्य पर ही टिका हैं.
जो कि पूर्ण परमात्मा हैं. पुरी यूनिवर्सल में ऐसा गुरु कोई नहीं हैं. इंडिया से किताबों का पूर्ण कोर्स मैं लेकर आई हूँ. तीन वार मंत्र लेना होता हैं. दो वार मैंने ले लिया 6 महीनो के बाद मेरा एग्ज़ाम था ,मैंने ऑनलाइन इग्ज़ाम दिया और मैं पास हुईं . कुछ महीनो बाद मेरा फ़ाइनल एग्ज़ाम हैं. यह एक PHD का ही कोर्स हैं.
फिर मुझे तीसरा मंत्र मिलेग़ा. आज तक मैंने ऐसा ज्ञान ना सुना ,ना पड़ा ,ना देखा, स्टूडेंट को उनकी मर्यादा के अनुसार चलना पड़ता हैं. अगर आप उनकी मर्यादा का उलंघन करोगे तो आपको दुबारा नाम दान नहीं मिलेग़ा. मेरे लिए तो यह बहुत ख़ुशी की बात हैं. ये ज्ञान मेरी आत्मा की ख़ुराक हैं। इसकी मुझे बहुत ज़रूरत हैं. ये पूरा यूनिवर्सल एक सत्य पर ही टिका हैं.
हमेशा सत्य की ही जीत हुईं है . हम इस घोर कलियुग में रह रहे हैं , एक- दूसरे से द्वेष ,ईर्षा , भेद ,भाव कूट कूट कर भरा हैं. ईश्वर हमें ऐसे लोगों से कोसो ही दूर रखे. ना हमें राज चाहिए ,ना हमें ताज चाहिए , ना धन चाहिए , ना कोठी चाहिए, ना बंगला चाहिए, ना गाड़ी चाहिए, सुख में इंसान भगवान को भूल जाता हैं, इंसान की आँखों पर पर्दा पड़ा रहता हैं.
जब सतगुर मिल जाता हैं। तो नाम जपने से आँखों के सब पर्दे साफ़ हो जाते हैं .जैसे अनार पर्तों से ढका होता हैं. प्रकृति ने कितनी मेहनत से उसको बनाया हैं. ऐसे ही जो जन्मो जन्मो के विकार हैं। नाम जपने से शीशा साफ़ हो जाता हैं.
हमें अपनी जीवन यात्रा इतनी सरल और सुगम बनानी चाहिए. जब आख़री समय आए ,तो हमें पहले ही तैयारी रखनी चाहिए .मोह , माया, धन , दौलत की कोई इच्छा नहीं होनी चाहिए. मन बिल्कुल ख़ाली होना चाहिए जैसे नारियल के परतें उतारते हैं तो बिल्कुल कठोर निकलता हैं , जब हम तोड़ते हैं तों अंदर से कितना सफ़ेद होता हैं. उसके अंदर कितना मीठा पानी होता हैं ऐसे हमारी आत्मा निर्मल ,साफ़ ,सफ़ेद होनी चाहिए ताकि आत्मा का परमात्मा से मेल हो जाए. यह सब गुरु की कृपा से ही हो सकता हैं. मैं भाग्यशाली हुँ, मेहर भरा हाथ मालिक का मेरे सिर पर हैं ।
छुपे हो व्यर्थ नैनो में ,उतर के दिल में आ जाओ ,
तुम्हारा पर्दा रह जाता , हमें दीदार हो जाता .
ख़ुशियों के साथ साथ , दुःख भी बनाए रखना ,
तुम्हारा पर्दा रह जाता , हमें दीदार हो जाता .
ख़ुशियों के साथ साथ , दुःख भी बनाए रखना ,
ताकि आपको भूल ना जाऊ.
मेरा मक़सद यह हैं कि मैं सब का भला कर सकूँ. Kammun के सम्पर्क के साथ हमने बहुत बड़ा इवेंट किया था उसमें सभी कंट्रीयो के लोगों ने अपने अपने स्टाल लगाए थे . लेकिन उसमें हमने जो पैसा कमाया। वो सब हमने कुष्ठ आश्रम में डोनेट किया जीवन की यह सच्ची कहानी हैं ,जीवन की यात्रा में मैंने यह पहली बार ब्लॉग लिखा हैं, कृपया आप हमें स्पोर्ट करे ताकी आप सब की सहायता से मैं आगे बढ़ सकूँ. आपके लिए कुछ नये नये ब्लॉग और लिख सकूँ. इतना बड़ा मौक़ा देने के लिए ,मन की गहराइयों से शुक्रिया अदा करती हूँ, परमात्मा की कृपा से मुझे सुनहरी मौका मिला है। मेहनत कर के किसी का भला कर सकू।यह मैंने इच्छा प्रकट की है ।पर ऐसा नहीं नाम लेने के बाद सद्गुरू की मर्ज़ी उन की आज्ञा का पालन करना ,मेरा धर्म है ।
मेरा मक़सद यह हैं कि मैं सब का भला कर सकूँ. Kammun के सम्पर्क के साथ हमने बहुत बड़ा इवेंट किया था उसमें सभी कंट्रीयो के लोगों ने अपने अपने स्टाल लगाए थे . लेकिन उसमें हमने जो पैसा कमाया। वो सब हमने कुष्ठ आश्रम में डोनेट किया जीवन की यह सच्ची कहानी हैं ,जीवन की यात्रा में मैंने यह पहली बार ब्लॉग लिखा हैं, कृपया आप हमें स्पोर्ट करे ताकी आप सब की सहायता से मैं आगे बढ़ सकूँ. आपके लिए कुछ नये नये ब्लॉग और लिख सकूँ. इतना बड़ा मौक़ा देने के लिए ,मन की गहराइयों से शुक्रिया अदा करती हूँ, परमात्मा की कृपा से मुझे सुनहरी मौका मिला है। मेहनत कर के किसी का भला कर सकू।यह मैंने इच्छा प्रकट की है ।पर ऐसा नहीं नाम लेने के बाद सद्गुरू की मर्ज़ी उन की आज्ञा का पालन करना ,मेरा धर्म है ।
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