कुछ समय बाद बेटी ने लड़के को बाहर बुला लिया . दोनो अपने अपने सेटल हों गये . बेटी की शादी के दो साल बाद बेटे की शादी करने के लिये हम इंडिया ग...
कुछ समय बाद बेटी ने लड़के को बाहर बुला लिया . दोनो अपने अपने सेटल हों गये . बेटी की शादी के दो साल बाद बेटे की शादी करने के लिये हम इंडिया गये. वहाँ जाकर हम पहले बगला मुखी माथा टेकने गये और हमने उनसे कहा कि मैं अपने बेटे की शादी करने इंडिया आई हूँ ।
तो देवगिरी महंत ने कहा कि आपको चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं ,रिश्ते के लिए लड़की ख़ुद आपके घर चल कर आएगी। और वैसा ही हुआ. मैं बहुत हैरान हुई ,ऐैसा कैसे हो सकता हैं ,जब हम घर आए तों लड़के के रिश्ते के लिए लड़की वाले पहले ही आए हुए थे . लड़की के परिवार वालों से बात हुई . काफ़ी अच्छा लगा ।
अपना पन महसूस हुआ। हमने लड़की को अपने घर बुलाया , फिर लड़की भी हमारे घर आई। लड़के को लड़की पसन्द आयी ,और रिश्ता पक्का हो गया। दो दिन में ही शादी हो गई जब बेटी को यहाँ डेनमार्क में पता चला तो वह बहुत हैरान हुईं। इतने कम समय में शादी भी हो गई शादी बहुत धूम धाम से हुई। लोग देखते ही रह गये कितना अच्छा माहौल था ।
शादी के दूसरे ही दिन ससुराल से मेरा देवर हमारे घर आया और मुझे कहा कि मेरे साथ चले मैंने कुछ पेपरों पर हस्ताक्षर करवाने हैं। फिर वह मुझे कोर्ट में ले गया और कहा आप मकान के पेपरों पर हस्ताक्षर कर दो। हमने कुछ काम करवाना हैं। और आपके हस्ताक्षर की ज़रूरत है। हमें, तो मूझे इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था। कोर्ट कचेहरी का जो भी खर्चा हुआ वो भी मुझ से ही लिया। बाद में मुझे किसी ने यह बताया कि आपने यह क्या किया ।आपने तो अपने हाथ ही कटवा लिए। वो अपनी चाल में कामयाब हुए। आपसे मकान के पेपरों पर हस्ताक्षर करवा कर,जो उनकी ज़मीर (सोच) थी उन्होंने वैसा किया लेकिन मेरी ऐसी सोच नहीं थीं। क्योंकि इस दुःख की घड़ी में भी मेरा भगवान मेरे साथ था ,मेरे लिए तो यह सब चीजें नाशवान हैं। इस दुःख की घड़ी को मैं और मेरा भगवान ही जनता हैं। उस ने पल पल मेरा साथ दिया। मुझे बचपन से ही अपने मालिक पर पूर्ण भरोसा है। वो जो कुछ करेगा हमारी सोच से बहुत अच्छा होगा. कुछ दिनों बाद हम वापिस डेनमार्क आ गये.
कुछ महीनों बाद लड़की भी बाहर आ गई . उसके आने की ख़ुशी में बहुत बड़ी पार्टी रखी गई। और आते ही लड़की का जन्म दिन था फिर सर्प्राइज़ पार्टी रखी काफ़ी ख़ुशी का माहौल था। और अब मेरी बेटी और बेटा दोनो खुश हैं। और अपने अपने घरों में सेटल हैं। बेटी के दो बेटे हैं ,लड़के के घर में एक बेटा और एक बेटी हैं ,सब अपने २ घरों में खुश है। मिलते रहते हैं। कभी कुवार ,मैं भी चली जाती हूँ। बच्चे बहुत खुश होते हैं। मैंने शर्मा जी के कहने पर अपना फ़र्ज़ पूर्ण किया मेरा मन को बहुत ही सुकून मिला भगवान का लाख लाख शुक्रिया बचपन में उस की महिमा के गुण गाया करती थी जो इस प्रकार है -:
हरशा दे विच तू ही वसे ,तू ही करें पसारा ,देख देख हैरान मैं होमा ,तेरा यह पसारा।
कई असंख्य बनाये यह बन्दे , नक ,हथ ,कन,लायें ।पर इक ,दूजे दे नाल यह सारे रलदें नहीं रलायें ।
भांत भांत दे बृक्ष दे बुटे ,फल फ़ुल चंग चगेरे ,मिट्टी हवा ये अग ते पानी नौकर क़ीते मेरे ।
इक बीज तो मिट्टी विचो लखा रुख़ उगाए ,इक रूख नू लखा फल ने हर बीच बीज लुकाये ।
पत्थर ,रेत पानी दे कीडे ,सब ना नू तू पाले ,बीच हनेंरे रोज़ रात नू तारे चन बखाले ।
जो भी है इस दुनिया ऊते ,हुक्म तेरे ते चले बाजों हुक्म तेरे वे रवा पत्ता भी न हीले।
तू मेरी नित राखी करदा देवे सब कुछ मैनूँ ,मैं हा मुड़ अंजे भी जै कर सदा ही सीमरा तैनू।
मुझ जैसा कोई पापी नहीं होगा .जैसे संसार मैं सात अरब जनसंख्या हैं ,एक दूसरे से कोई भी नहीं मिलता जुलता कोई तो हैं सर्वज्ञ शक्तिशाली ( परमात्मा ) परमात्मा माना गया है। भगवान की शक्ति को समझ पाना हमारी सोच से कोसों दूर हैं। मेरी ज़िन्दगी का सब से बड़ा Life Experience था। जिस पर मै आँखें मुन्द कर बिशवास करती हूँ ।वह मेरे सब से क़रीब है ,आत्मा का मालिक ।
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