एक राजा की पुत्री के मन में वैराग्य की भावनायें थी ।जब राज कुमारी विवाह के योग्य हुई ,तो राजा को उस के विवाह के लिए योग्य वर नही मिल पा रहा...
कुटियाएँ की सफ़ाई करते समय राज कुमारी को एक बर्तन मे दो सुखी रोटियाँ दिखाई दी ।उस ने अपने संन्यासी पति से पूछा कि रोटियाँ यहाँ क्यों रखी है ? संन्यासी ने जबाव दिया ,कि यह रोटियाँ कल के लिये रखीं है ।अगर कल खाना नही मिला तो हम एक एक रोटी खा लेंगे ।संन्यासी का जवाब सुन कर राज कुमारी हंस पड़ी ।राज कुमारी ने कहा कि मेरे पिता ने मेरा विवाह आप के साथ इस लिये किया था ।क्योंकि उन्हें यह लगता है ।
कि आप भी मेरी ही तरह वैरागी हैं ।आप तो सिर्फ़ भक्ति करते है ,और कल की चिन्ता करते है। सच्चा भक्त वहीं हैं ,जो कल की चिन्ता नहीं करता ,और भगवान पर पूरा भरोसा करता है ।अगले दिन की चिन्ता तो जानवर भी नही करते ।हम तो इन्सान है अगर भगवान चाहेगा तो हमें खाना मिल जायेगा ,नही मिले गा रात भर आनन्द से प्रार्थना करेंगे ।ये बातें सुन कर संन्यासी को समझ आ गया कि उसकी पत्नी ही असली संन्यासी है ।
उस ने राजकुमारी से कहा आप तो राजा की बेटी है , राजमहल छोड़ कर मेरी छोटी सी कुटिया में आई है ।जबकि मैं तो पहले से ही एक फ़क़ीर हूँ ,फिर भी मुझे कल की चिन्ता सता रही थी सिर्फ़ कहने से ही कोई संन्यासी नही होता ,संन्यास को जीवन में उतारना पड़ता है ।आपने मुझे वैराग्य का महत्व समझा दिया,मुझे बहुत ख़ुशी हुई ।
भावार्थ —:अगर हम भगवान की भक्ति करते है ,तो विश्वास भी होना चाहिए कि भगवान हर समय हमारे साथ है ।उस को यानि ( भगवान ) को हमारी चिन्ता हम से ज़्यादा रहती है ।कभी आप बहुत परेशान हो ,कोई रास्ता नज़र नही आ रहा हो आप आँखें बंद कर के विश्वास के साथ पुकारे, सच मानिये थोड़ी देर मे आप की समस्या का समा धान मिल जायेगा । https://www.myjiwanyatra.com/
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