नम्रता भरे भाव - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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नम्रता भरे भाव

एक सज्जन रेलवे स्टेशन पर बैठे गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहे थे, तभी जूते पालिश करने वाला एक लड़का आकर बोला:साहब ,बूट पॉलिश उसकी दयनीय सूरत...





एक सज्जन रेलवे स्टेशन पर बैठे गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहे थे, तभी जूते पालिश करने वाला एक लड़का आकर बोला:साहब ,बूट पॉलिश उसकी दयनीय सूरत देखकर उन्होंने अपने जुते आगे बढ़ा दिये-बोले लो पर ठीक चमकाना लड़के ने काम शुरू कर दिया परंतु अन्य पालिश वाले की तरह उस में स्फूर्ति नहीं थी। वह बोले कैसे ढीले ढीले काम करते हो जल्दी जल्दी  हाथ चलाओ वह लड़का मौन। रहा इतने में दूसरा लड़का आया। उस ने इस लड़के को तुरंत अलग कर दिया और सह्य स्वयं फटा फट काम में जुट गया। पहले वाला गूँगे की तरह एक ओर खड़ा रहा दूसरे ने चमका दिये पैसे किसे देने है ।-इस पर बिचार करते हुए उन्होंने जेब में हाथ डाला ।उन्हें लगा कि अब इन दोनों में पैसों के लिए झगड़ा या मार पीट होगी। उस ने पैसे तो लिये परन्तु पहले बाले लड़के की हथेली पर रख दिये। प्रेम से उस की पीठ थप थपाई और चल दिया। वह आदमी विस्मय नेत्रों से देखता रहा था। उस ने लड़के को तरूंत वापिस बुलाया और पूछा -यह क्या चक्र है।

लड़का बोला साहब - यह तीन महीने पहेले चलती ट्रेन से गिर गया था। हाथ में बहुत चोटें आई थीं. ईश्वर की कृपा से बेचारा बच गया ,नहीं तो इस की वृद्ध माँ और पाँच बहनों का क्या होता फ़िर थोड़ा रुक कर - बोला साहब ,यहाँ जुते पालिश करने वालों का यह हमारा ग्रूप है। और उस में एक देवता जैसे हम सब के प्यारे चाचा जी है, जिन्हें सब सत्संगी कहकर पुकारते हैं। वे सत्संग में जाते हैं। हमें भी सभी बातें समझाते हैं। साथियों अब यह पहले की तरह सफुर्ती से काम नहीं कर सकता तो क्या हुआ 
ईश्वर ने हम सब को अपने साथी के प्रति सक्रिय हित त्याग -भावना ,स्नेह, सहानुभूति और एकत्व का भाव प्रकटाने का एक अफ़सर दिया है। जैसे पेट ,पीठ , चेहरा, हाथ, पैर,  भिन्न भिन्न दीखते हुये भी है एक शरीर के अंग ऐसे ही हम सभी आत्मा हम सब एक स्टेशन पर रहने वाले हम सब साथियों ने मिल कर तह किया कि हम अपनी एक जोड़ी जूते पालिश करने की आय प्रति दिन इसे दिया करेंगे ,और ज़रूरत पढ़ने पर इस के काम में सहायता भी करेंगे ।इस सत्संगी व्यक्ति के सम्पर्क में आने वालों का जीबन मानवीयता , सहयोग और सुहदयता की बगीयाँ से महक जायेगा ।

सत्संगी अपने सम्पर्क में आने वाले लोगों को अपने जैसा बना देता है। हमें अच्छी संगत वालों के सम्पर्क में रहना चाहिए।अपनी ज़िन्दगी के खुद मालिक है। सद्गुरू की रजा में रहना चाहिए। ऐसा निर्मल ज्ञान ऊँचाइयों तक ले जायेगा। हर पल शुकर है मालिक का।

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