स्नेह के आँसू - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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स्नेह के आँसू

सब्जी वाले ने तीसरी मंजिल की घंटी का बटन दबाया। ऊपर बाल कनी का दरवाजा खोल कर बाहर आई महिला ने नीचे देखा। बीबी जी सब्जी ले लो । बताओ क्या- क्...


सब्जी वाले ने तीसरी मंजिल की घंटी का बटन दबाया। ऊपर बाल कनी का दरवाजा खोल कर बाहर आई महिला ने नीचे देखा। बीबी जी सब्जी ले लो । बताओ क्या- क्या तोलना है। कई दिनों से आपने सब्जी नहीं खरीदी मुझे कोई  और देकर जा रहा है क्या ? सब्जी वाले ने कहा। रुको भैया मैं नीचे आती हूँ। महिला नीचे उतर कर आई और सब्जी वाले के पास आकर बोली भैया तुम हमारे घर की घंटी मत बजाया करो। हमें सब्जी की जरूरत नहीं है।कैसी बात कर रही हैं ।बीबी जी ,सब्जी खाना तो सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। किसी और से लेती हो तो बात अलग है, मैंने सोचा शायद छुट्टीयाँ मनाने कही पिकनिक पर गई हो  इस लिये ।कभी  किसी को देखा भी नहीं सोचा चलो  रिंग कर दिया। सब्जी ,सब्जी वाले ने कहा। नहीं भैया  उनके पास अब कोई काम नहीं है। किसी तरह से हम लोग अपने आप को जिंदा रखे हुए हैं। 

जब सब ठीक हो जाएगा, घर में कुछ पैसे आएंगे, तो तुमसे ही सब्जी लिया करूंगी। मैं किसी और से सब्जी नहीं खरीदती हूँ। वक़्त वक़्त की  बात होती हैं। कभी ऐसा सोचा नहीं था,आजकल इन के पास काम  कोई काम नहीं है ।इस लिये सब्र सबूरी के साथ घर चल रहा हैं। आज आप ने घंटी बजाई । हमें  अपना पन सा लगा । सोचा भगवान को हमारी चिंता है ।ज़रूर उस ने कोई देव दुत भेजा है। हमारे लिये कभी-कभी तो मन उदास हो जाता है। अपनी मजबूरी पर गुस्सा आने लगता है। इसलिए भैया अब तुम हमारी घंटी मत बजाया करो इतना कहकर महिला अपने घर में वापिस जाने लगी। बहन जी तनिक रुक जाओ। हम इतने बरसो से आपको सब्जी दे  रहे है ।दो मिनिट।और सब्जी वाले ने एक थैली के अंदर टमाटर , आलू, प्याज, घीया, कद्दू और करेले डालने के बाद धनिया और मिर्च भी उसमें डाल दिया। महिला हैरान थी ,उसने तुरंत कहा  भैया तुम मुझे उधार सब्ज दे रहे हो, कम से कम तोल तो लेते और मुझे पैसे भी बता दो। मैं तुम्हारा हिसाब लिख लूंगी। 

 जब सब ठीक हो जाएगा ,तो तुम्हें तुम्हारे पैसे वापस कर दूंगी। महिला ने कहा ,वाह  ये क्या बात हुई भला  तोला तो इसलिए नहीं है ,कि कोई  अपनो से पैसे नहीं लेता और बहिन  मैं कोई अहसान भी नहीं कर रहा हूँ । ये सब तो यहीं से कमाया है, इसमें तुम्हारा हिस्सा भी है। बच्चों के लिए मौसमी फल डाल दिये है। बच्चों का खूब ख्याल रखना, ये बीमारी बहुत बुरी है ,और आखिरी बात भी सुन लो बहन ,घंटी तो मैं जब भी आऊँगा, जरूर बजाऊँगा। इतना कहकर सब्जी वाले ने मुस्कुराते हुए दोनों थैलियाँ महिला के हाथ में थमा दीं। 
महिला की आँखें मजबूरी की जगह स्नेह के आंसुओं से भरी हुईं थीं। अपने आसपास के लोगों की सेवा यदि प्रत्येक व्यक्ति कर ले ,तो यह मुश्किल घड़ी भी आसानी से गुजर जाएगी ।अच्छी सोच यदि हर इंसान की हो जाये।तो यह दुनिया स्वर्ग बन जाये। कोई भी गरीब न हो सभी अपनी लाइफ़ को अच्छी तरह जी सके।  इंसान इन्सान की सहायता करने लग जाये तो दुनिया में स्वर्ग बन जाये आत्मा को शांति व आनंद अमृत की तृप्त होती हैं । बड़ी सोच इन्सान को  कही से कही तक पहुँचा सकती हैं ,ऊँचे बिचारो का होना बहुत ज़रूरी है। मालिक तो सब के ह्रदयों में बास करते है ।चाहे जानवरों में ,पशुओं मे ,जीव जातियों में है।पक्षी तो काम भी नही करते भगवान उन की भी सम्भाल रखते है ।मनुष्यों के मन  मे प्रेरणा देकर सब का भला चाहता है ।
हम तो फिर भी इन्सान है ,अपनी सोच विचारो से एक दुसरे की सहयता कर सकते हैं । किसी की ख़ुशी देख कर मन स्वयं                                          झूमने लगता है,अपनी जीवन यात्रा को  सफल बनायें  नेक कार्य करके ।

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